Home Lifestyle Culture होली के गीत चंग की थाप पर गाने की परंपरा आज भी...

होली के गीत चंग की थाप पर गाने की परंपरा आज भी सहेजे है लोग ।

होली पर्व पर चंग व थाप पर फागुन गीत से गूंजते गांव और शहर...

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होली पर्व पर चंग व थाप पर फागुन गीत से गूंजते गांव और शहर…

चंग की थाप पर होली के गीत की बात ही कुछ और है…

टोंक :- होली अतीत में कभी पूरे फागुन माह चलती थी और फागोत्सव की बात ही कुछ और थी वही चंग की थाप पर होली के गीतों की तो बात ही क्या समय के साथ त्योहार मनाने का तरीका भले ही बदला हो पर होली के साथ चंग की थाप की बात ही कुछ और है और आज भी सनातन संस्कृति से जुड़े लोग हमारी परम्पराओ को सहेजे हुए है टोंक जिले में देवली से लेकर टोंक तक फ़ाग महोत्सव की धूम मंदिरों और मोहल्लों में चंग की थाप के साथ सुनाई देती है ।

देवली में महाशिवरात्रि के साथ ही शहर निवासी युवा चंग व ढोल की थाप पर फागुन के गीत व भजन गाकर परंपरा व संस्कृति निभा रहे हैं। यह लोग प्रतिदिन बस स्टैंड परिसर स्थित एक दुकान के चबूतरे पर रात साढ़े 8 बजे से 11 बजे तक फाल्गुन के गीत गा रहे हैं। गत महाशिवरात्रि 26 मार्च से यह क्रम जारी किया गया है। चंग की थाप पर भजनों के बोल फागुन की मस्ती को बयां कर रहे हैं। होलिया में उड़े रे गुलाल, आयो फागनियो, नैना नीचा करले श्याम न रिझावली सहित फागुन व भगवान के भजन गाकर होली आने का संदेश। मौजूदा समय में फागुन के गीत गाने की परंपरा बहुत कम देखने को मिल रही है। यह रमेश गोयल,नीरज शर्मा, महेश अग्रवाल, योगेश श्रीमाल, ज्योति स्वरूप, योगेश पुजारी, पंकज नथैया, विनोद पुजारी आदि, जो यह परंपरा निभा रहे हैं।

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